#36: व्यवहार जीवन का अभिन्न अंग है|

व्यवहार करना मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है। हमारे सामने जो भी परिस्थितियां होती हैं उसी के अनुरूप व्यवहार करने लगते हैं।

व्यवहार जीवन का अभिन्न अंग है क्योंकि इसको महसूस करते हैं आपको उस व्यक्ति की व्यक्तित्व के बारे में पूरा आभास हो जाता है।

आप अपने ऑफिस में अपने साथियों के साथ अपने जूनियर अधिकारियों के साथ कैसे बातचीत करते हैं यह आपका व्यवहार तय करता है। आपका व्यवहार खराब है तो आप सफलता के हकदार नहीं बन पाते लंबे समय के लिए।

लेकिन अगर आपका व्यवहार बहुत अच्छा है तो आपको सफलता के रास्ते से कोई हटा नहीं सकता। अपने व्यक्तित्व की छाप अपने व्यवहार से ही छोड़ सकते हैं।

 

आपके मुंह से निकला एक एक शब्द आपकी व्यवहार को जानने का सबसे बढ़िया तरीका है। इसलिए इस व्यवहार को हम अपने हिसाब से अच्छा या बुरा बना सकते हैं। जब आप सकारात्मक सोच के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं तो आप अपने आप एक अच्छे व्यवहारिक व्यक्तित्व को पेश करते हैं।

व्यापार के बारे में अगर आप जानना चाहे तो महाभारत में दुर्योधन और पांडवों का व्यवहार देख लीजिए आपको सब कुछ ध्यान आ जाएगा।

गंदे व्यवहार की वजह से दुर्योधन ने कितने लोगों को मौत के घाट उतरवा दिया इस युद्ध को करके। वरना कृष्ण भगवान शांति दूत बनकर गए थे।

इसलिए व्यवहार जीवन का अभिन्न अंग माना गया है और जितने भी सफल आदमी है 99%परसेंट अच्छे व्यवहार के कायल हैं।

अच्छे व्यवहार को पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग्स देखिए

मनुष्य का कर्म ही नहीं उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बहुत महत्व रखती है। मनुष्य का शालीन और सहयोगी व्यवहार ही उसे समाज में प्रतिष्ठित बनाता है। परिस्थितियां कब कैसी करवट बदलेंगी कोई नहीं जानता, हम नहीं मालूम कल क्या हालात होगी, कहीं हम दुर्घटना ग्रस्त हुए तो, या फिर हम कोई असाध्य बीमारी हुई तो तब हम क्या करेंगे।

हमारा व्यवहार हमें बहुत घातक स्तिथियों से बचा लेता है। इंसान का व्यवहार कुशल होना इसलिए भी जरूरी है ताकि उसका व्यक्तित्व निखार सके। उसकी वाणी में मिठास हो। घर में बेवजह कहा क्लेश न हो।”

 

  • व्यवहार हमारी उम्मीद हैं जो हम दूसरों से रखते हैं।
  • व्यवहार हमारी आदत हैं जो हम क्या हैं, बताती हैं।
  • व्यवहार हमारे शब्द हैं जो सामने वाले व्यक्ति को एक भावनात्मक रूप से, हमसे जोड़ती हैं।
  • व्यवहार हमारी शब्दावली हैं, जो हमारी ज़बान क्या हैं बतलाती हैं।
  • व्यवहार हमारी आदत हैं जो हमारी सुबह से शाम तक का,24घंटों का,7 दिन और 365/366 साल की ,दिनचर्या बतलाती हैं।
  • व्यवहार हमारी आदत हैं जो हम,हर एक छोटी-छोटी आदतों में अपनाते हैं।
  • व्यवहार हमारी आदत हैं जो हम,हर एक छोटी-छोटी आदत से सीखते हैं।
  • व्यवहार हमारी संगति हैं जिसमें हम रहते हैं।
  • व्यवहार हमारी भविष्य की संगति हैं, जिसमें हम रहना पसंद करेंगे।
  • व्यवहार हमारा संयम हैं।

कोरोना वायरस, जो कुछ माह पूर्व तक हमारे परिवेश में कहीं दूर-दूर तक नहीं था, का प्रभाव अब हमारे जीवन का स्थाई भाव बन गया है। हमारी चर्चाओं में, हमारी कल्पनाओं में कोरोना शामिल हो चुका है। हमारी शब्दावलियां कोरोना और इससे उपजी परिस्थितियों से पटी पड़ी हैं।

 

भारत में भी पलायन के फलस्वरूप समाज के व्यवहार का परीक्षण भी हुआ और इसमें परिवर्तन भी। इस महामारी ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है। इस कारण लोगों की उपस्थिति समाजीकरण वाले स्थानों पर नगण्य हो गई है।

इस महामारी की प्रवृत्ति लोगों को सामूहिकता की भावना से विमुख कर रही है। लगातार ‘लॉकडाउन’ के कारण लोगों के सामाजिक आयोजनों और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने की स्मृतियां भी क्षीण होने लगेंगी, क्योंकि लोगों का सार्वजनिक स्थानों पर जाना बंद या बहुत सीमित हो गया है।

एक समाज के रूप में हम अपनी कई आवश्यकताओं के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं। लोगों से मिलना, परस्पर व्यवहार और संवाद सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग है। मगर इस बीमारी के अचानक आगमन ने इन सब प्रक्रियाओं को रोक दिया है।

मुझे दूसरे व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जैसा कि मैं चाहता हूँ वो मेरे साथ न करे।

उपरोक्त वाक्य को फिर से लिखा जा सकता है ।

मुझे दूसरे व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा कि मैं चाहता हूँ वो मेरे साथ करेगा ।


वास्तविकता यह है कि हम सब के अन्दर, भयंकर किस्म का जानवर एक शैतान के रूप में छिपा बैठा है ।

जब मैं कहता हूँ कि मैं अच्छा इन्सान बनने का प्रयास कर रहा हूँ, इसका सिर्फ इतना ही मतलब है कि मैं धीरे-धीरे इस शैतान की शक्तियों को क्षीण करने का प्रयास कर रहा हूँ ।

जितनी मात्रा में इस शैतान को खत्म करने में, मुझे सफलता मिल जायेगी ….. उतनी ही मात्रा में मेरे अन्दर मानवता और मानवीयता का आविर्भाव हो जायेगा ।

हम किसी से भी सीख सकते हैं।इसी संदर्भ में देखिए।

आइये! आज पक्षियों से कुछ सीखा जाए..

१. रात को कुछ नही खाते।🦜

२. रात को घूमते नही।🦜

३. अपने बच्चे को सही समय पर सिखाते हैं।🦜

४. ठूस ठूस के कभी नही खाते।
आप ने कितने भी दाने डाले हों,
थोड़ा सा खा कर उड़ जायेंगे।
साथ कुछ नही ले जाते।🦜

५. रात होते ही सो जायेंगे,
सुबह जल्दी जाग जायेंगे,
गाते चहकते उठेंगे।🦜

६. अपना आहार कभी नहीं बदलते।🦜

७. अपने शरीर से सतत् काम लेते हैं।
रात के सिवा आराम नही।🦜

८. बीमारी आई तो खाना छोड़ देंगे,
तभी खायेंगे जब ठीक होंगे।🦜

९. अपने बच्चे को भरपूर प्यार देंगे।🦜

१०. परिश्रम करने से हृदय, किडनी,
लिवर के रोग नहीं होते।🦜

११. प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितनी ज़रूरत है।🦜

१२. अपना घर पर्यावरण अनुकूल बनाते हैं।🦜

१३. अपनी भाषा छोड़कर दूसरों की बोली
कभी भी नहीं बोलते।🦜

१४ एक उम्र के बाद बच्चों को
उनकी उड़ान के लिए स्वतंत्र छोड़ देते हैं,
उन्हें अपनी ज़िन्दगी ख़ुद तय करने देते हैं। 🦜

१५ अपना कुनबा कभी नहीं बदलते। 🦜

🦜🦜हम भी इनसे कुछ सीखें तो
जीवन सरल, सुंदर व सफल हो जाए !!!

ऐसी बातें किसी को भी शोभा नहीं देती फिर पता नहीं हम सभी इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार क्यों नहीं समझते? हम यह भूल जाते हैं कि हम भी वृद्ध होंगे और हमारे बच्चे भी हमारे साथ ऐसा ही करेंगे।

सबसे बड़ी चीज है, अगर आप मां-बाप की इज्जत करते हैं तो इस तरह की हिमाकत कोई भी नहीं करेगा। लेकिन आजकल कुछ संस्कारों का तालमेल नहीं होने की वजह से लड़के अपनी पत्नी की बातों में आकर अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रख पाते हैं।

कुछ बातों में मै माता-पिता को भी दोष देना चाहूंगा। क्यों कि वह भी जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, शादीशुदा हो जाते हैं तो उनको अपनी जिंदगी जीने दे। कम से कम आपको उनको समझा ना पड़े। हर छोटी-छोटी चीज के लिए पीछे ना पड़े ।

क्योंकि आपको अपने आप पर अपने बच्चों पर विश्वास होना जरूरी है। जब भी कोई बहू घर में आती है या आपका आपकी बेटी दूसरे घर बहू बनकर जाती है दोनों तरफ संस्कार माता-पिता से पाती है।

तो फिर इस तरह की गलतियां क्यों हो रही है समाज में? हमारे को यह सभी को सोचना है और इसमें सुधार लाना अति अनिवार्य है।

वही बात अगर सभी समझ ले तो कोई भी अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में नहीं छोड़ेगा। उसके बाद मरने के तत्पश्चात कोई कुछ भी कर ले उसका सिर्फ दिखावा मात्र है।

मेरे प्यारे साथियों मेरी बातों का बुरा ना माने। अपने माता-पिता के ऋण को चुकाने की कोशिश करें। पूरी जिंदगी उनको जितनी खुशियां दे देंगे ,आप आप सामाजिक स्तर पर व मानसिक स्तर पर अपने जीवन की नई ऊंचाइयों को छू पाएंगे ।

सबसे बड़ी बात कि आप अपने बच्चों को भी अच्छे संस्कार दे पाएंगे जिससे आपका भविष्य भी सुरक्षित रहे।

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आपका दोस्त लाइफ कोच, मोटिवेशनल स्पीकर, क्लब हाउस रुम स्पीकर, ब्लॉगर, यूट्यूबर, पॉडकास्टर,लेखक एवम वस्त्र उद्योग सलाहकार। करीब 40+ साल का उद्योग जगत का तजुर्बा। 121 व ग्रुप कोचिंग भी उपलब्ध है, आपकी समस्या के निदान हेतु।

अब आपके पास जा रहा हूं सोशल मीडिया कोरा प्लेटफार्म पर।

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5 thoughts on “#36: व्यवहार जीवन का अभिन्न अंग है|”

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